नियम और शर्तें
1. यह सहमति है कि कंपनी और खरीददार के बीच सभी लेनदेन कंपनी के नियम और शर्तों के तहत नियंत्रित होंगे। इसके अतिरिक्त यह भी सहमति है कि कंपनी के नियम और शर्तें कंपनी की वेबसाइट पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रकाशित हैं और कंपनी द्वारा बिना किसी सूचना के इसमें समय-समय पर संशोधन किया जा सकता है। किसी भी विवाद की स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रकाशित नियम और शर्तें मान्य होंगी।2. परिभाषाएं:
a.) "कंपनी" का अर्थ है एर्गोस बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, जोकि कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के तहत निगमित एक कंपनी है, जिसका पंजीकृत कार्यालय बैंगलोर में है। जिसमें इसके सभी निदेशक, कर्मचारी, सहायक, सहयोगी और प्रतिनिधि शामिल हैं।b.) कंपनी के नियम और शर्तें: सभी नियम और शर्तें इसमें बताए गए हैं और कंपनी की वेबसाइट पर प्रकाशित हैं।
c.) "खरीददार" का अर्थ कोई भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या अन्य कानूनी इकाई जो वेयरहाउस पर सामान खरीदने/बेचने/लेनदेन/भंडारित करने की इच्छा रखता है अथवा अनुरोध करता है।
d.) "किसान" का अर्थ कोई भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या अन्य संस्था जिसका माल गोदाम में भंडारित है या भंडारण करने का अनुरोध किया है।
e.) यहां "वस्तुओं" का मतलब विक्रेता द्वारा बेचे गए या किसान द्वारा कंपनी को दिए गए अनाज/फसल से है।
f.) "खरीद आदेश" का अर्थ है खरीददार द्वारा विक्रेता से सामान खरीदने के लिए किया गया अनुरोध।
g.) "विक्रेता" का अर्थ है एक किसान / पुनर्विक्रेता/ कंपनी जो खरीदार से प्राप्त खरीद आदेश को समायोजित करने के लिए माल की आपूर्ति करेगा।
h.) वेयरहाउस: सामान के भंडारण हेतु कंपनी के स्वामित्व/पट्टे पर लिए गए अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला कोई भी परिसर।
i.) वेयरहाउस रसीद: माल के भंडारण की प्राप्ति के लिए कंपनी या उसके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में दी गई पावती।
j.) वेयरहाउसिंग अनुरोध: किसान या खरीदार माल को भंडारित करने या बेचने का अनुरोध करते हैं।
k.) अवधि:
i.) रबी सीजन के लिए समय अवधि कंपनी द्वारा जारी वेयरहाउस रसीद पर दर्ज माल के भंडारण की तारीख से शुरू होकर अगले कैलेंडर वर्ष की 15 फरवरी या भंडारण की तारीख से अधिकतम 185 दिनों तक, इनमें से जो भी पहले हो, होगी।
ii.) खरीफ सीजन के लिए समय अवधि कंपनी द्वारा जारी वेयरहाउस रसीद पर दर्ज माल के भंडारण की तारीख से शुरू होकर अगले कैलेंडर वर्ष की 15 जुलाई या भंडारण की तारीख से अधिकतम 185 दिनों तक, इनमें से जो भी पहले हो, होगी।
3. किसान घोषणा करता है कि गोदामों में माल सीधे कंपनी द्वारा खरीदा जाता है और कीमत, मात्रा की सहमति किसान द्वारा लिखित में या मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के माध्यम से दी जाती है। और इसे एक अनुबंध/समझौते के तहत खरीददार से क्रय आदेश मिलने के बाद खरीददार को बेचा जाएगा।
4. एक बार बेचे गए माल को विक्रेता द्वारा किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं लिया जाएगा।
5. शुल्क और भुगतान:
a.) माल के प्रेषण (डिस्पेच) की तारीख पर प्रचलित मूल्य लागू होंगे और विक्रेता खरीदार को बिना किसी अग्रिम सूचना दिये या बिना कोई कारण बताए मूल्य को संशोधित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। कीमतों में संशोधन के कारण खरीदार द्वारा किए जाने वाले लागत, शुल्क, खर्च और नुकसान के लिए विक्रेता जिम्मेदार नहीं होगा।b.) प्रत्येक आपूर्ति/वितरण के लिए बिलिंग और भुगतान विक्रेता के प्रेषण (डिस्पेच) दस्तावेजों में दर्ज भार के आधार पर होगा। प्रेषण के समय विक्रेता के वजन और माप को सुपुर्दगी/आपूर्ति की गई मात्राओं के निर्णायक साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा। खरीदार, यदि वे चाहें तो, टैंकरों/ट्रकों को मापने/तौलने वाले के स्थान पर उपस्थित रहने और विक्रेता के माप/वजन की शुद्धता को परखने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन विक्रेता उपरोक्त उद्देश्यों के लिए खरीददार के प्रतिनिधि की प्रतीक्षा करने के लिए बाध्य नहीं है।
c.) माल की बिक्री, परिवहन या आपूर्ति/वितरण पर अब लागू या उसके बाद लगाए गए किसी भी अन्य कर का भुगतान खरीददार द्वारा किया जाएगा अथवा यदि विक्रेता द्वारा सीधे भुगतान किया जाता है तो विक्रेता को खरीदार द्वारा उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी।
d.) यदि खरीददार देय होने पर भुगतान करने में विफल रहता है या यदि खरीदार द्वारा इसके किसी भी नियम और शर्तों का कोई उल्लंघन होता है, तो विक्रेता अपने अन्य अधिकारों या उपायों पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले अपने आदेश को आगे जारी न रखते हुए तुरंत डिलीवरी को रद्द कर सकता है और इस मामले में विक्रेता को किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
e.) डिमांड ड्राफ्ट/चेक (किसी भी राष्ट्रीयकृत/अनुसूचित बैंक) द्वारा प्रेषण कंपनी के निर्दिष्ट स्थान पर या विक्रेता के आदेश पर देय होना चाहिए। विक्रेता पारगमन (ट्रांज़िट) में डीडी/चेक आदि के गुम होने या चोरी होने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। खरीदारों को उनके अपने हित में सलाह दी जाती है कि वे उपरोक्त दस्तावेजों को पंजीकृत डाक पावती के साथ विक्रेता को भेजें या सौंप दें। खरीददार द्वारा जारी किया गया डीडी/चेक कंपनी के पक्ष में आहरित होना चाहिए।
f.) समझौते के कार्यान्वयन के समय खरीददार और विक्रेता के बीच सहमत दरों पर ब्याज लगाया जाएगा और माल के भुगतान में किसी भी देरी की अवधि के लिए यह ब्याज खरीदार द्वारा विक्रेता को देय होगा।
g.) खरीदार द्वारा विक्रेता को बकाया शुल्क का पूरा भुगतान करने के बाद ही माल जारी होगा या बेचा जाएगा।
h.) खरीददार से विलंबित भुगतान शुल्क, यदि कोई हो, सहित किसी भी देय राशि के लिए खरीददार को देय किसी छूट या अन्य राशि तय करने का अधिकार विक्रेता के पास सुरक्षित है।
i.) उपलब्धता के अधीन, शुल्क यानी गोदाम प्रबंधन शुल्क, सेवा शुल्क आदि क्रेता के खाते में उपलब्ध क्रेडिट शेष से ऑटो डेबिट किया जा सकता है।
6. माल की डिलीवरी / आपूर्ति:
a.) माल विक्रेता द्वारा तय समय और सुविधाजनक लॉट व मात्रा में भेजा जाएगा।b.) पारगमन (ट्रांज़िट) बीमा के लिए सभी व्यवस्था और पारगमन नुकसान के लिए सभी दायित्व खरीदार की जिम्मेदारी होगी और खरीदारों के खाते में होंगे। यदि किसी भी परिस्थिति में ये खर्च विक्रेता द्वारा किए जाते हैं तो खरीददार विक्रेता को तुरंत इसकी प्रतिपूर्ति करेगा।
c.) खरीदार की ओर से परिवहन ठेकेदार / अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा विक्रेता के स्थान पर लोड किए गए सामान के लिए लॉरी वेबिल/ रसीद विक्रेता को प्राप्त होने पर माल का प्रेषण या आपूर्ति पूर्ण हो जाएगी। चालान (इन्वाइस) पर अंकित प्रेषण की तारीख ही डिलीवरी की तारीख होगी।
d.) किसी भी कारण से माल के प्रेषण में देरी के लिए विक्रेता जिम्मेदार नहीं होगा और प्रेषण/वितरण समय की शर्त तब तक अनुबंध का सार नहीं होगी जब तक कि विक्रेता द्वारा लिखित रूप में इसकी पुष्टि नहीं की जाती है। डिलीवरी के लिए विक्रेता द्वारा निर्धारित किसी भी समय या तारीख का अनुमान केवल अनुमान है और विक्रेता किसी भी नुकसान या घाटे, यदि कोई हो, को पूरा करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा चाहे वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डिलीवरी में देरी से उत्पन्न हो।
e.) एक बार वाहक (कैरियर) को प्रेषित सामान का जोखिम और जिम्मेदारी खरीदारों पर होगी। खरीददार यदि चाहे तो इस तरह के जोखिम के लिए अपनी लागत पर बीमा करवा सकता है। उत्पाद के विक्रेता के स्थान/ गोदाम से बाहर निकलने के बाद उसमें किसी भी तरह से टूटने, रिसाव, चोरी, लूट, क्षति और/ या किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए विक्रेता की कोई जिम्मेदारी नहीं है। खेप में किसी भी कमी के दावों को खरीदार द्वारा सीधे वाहक (कैरियर) या खरीदार के किसी अन्य एजेंट के साथ निपटाया जाना चाहिए और विक्रेता किसी भी परिस्थिति में ऐसे दावों के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
f.) विक्रेता के कार्यों के आवधिक बंद की अवधि के दौरान, ऐसे शटडाउन के मामले में विक्रेता किसी भी सामान को प्रेषित (डिलीवर) करने के लिए बाध्य नहीं होगा। ऐसे शटडाउन के लिए विक्रेता खरीददार को नोटिस देने का प्रयास करेगा, लेकिन किसी भी कारण से ऐसा करने में विफल रहने पर खरीदार को इस संबंध में विक्रेता से मुआवजे और/या किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति का दावा करने का कोई अधिकार नहीं होगा।
g.) यदि खरीददार निर्दिष्ट तिथि और समय पर माल की डिलिवरी लेने में विफल रहता है तो डिलिवरी देय होने पर विक्रेता के पास सुपुर्दगी रद्द करने या शेष माल को खुले बाजार में बेचने और राशि में अंतर, यदि कोई हो, और साथ ही खरीदार की ओर से उल्लंघन के लिए नुकसान की भरपाई करने का विकल्प होगा।
h.) यदि खरीदार की ओर से विक्रेता द्वारा परिवहन की व्यवस्था की जाती है, तो माल वाहक (कैरियर) को सुपुर्दगी वाले प्रत्येक स्थान / गोदाम पर बेचा जाना माना जाएगा। ऐसे परिवहन शुल्क की प्रतिपूर्ति खरीददार द्वारा विक्रेता को वास्तविक आधार पर की जाएगी।
i.) माल प्रत्येक स्थान/गोदाम के आधार पर बेचा जाता है। एक बार माल वाहक/ट्रांसपोर्टर को माल सुपुर्द कर दिया जाता है और चालान बन जाता है, तो माल का अधिकार ग्राहक को हस्तांतरित कर दिया जाता है।
j.) माल की रिहाई/निकासी के बाद किसी भी बची हुई मात्रा (जैसा कि आवेदन द्वारा निर्धारित किया गया है) की स्थिति में, कंपनी द्वारा निर्धारित उचित बाजार मूल्य पर कंपनी द्वारा अनिवार्य रूप से बेचा जाएगा। और ऐसी बिक्री की आय क्रेता के खाते में जमा की जाएगी।
7. खरीदार की बिक्री का अनुरोध:
a.) खरीदार को खरीदे गई वस्तुओं के लिए बिक्री अनुरोध करने का अधिकार है और बिक्री अनुरोध के सक्रिय होने की समय सीमा निर्धारि त करता है।b.) इन वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण आपसी समझ/बातचीत द्वारा किया जाएगा।
c.) एक बार जो भी बिक्री अनुरोध स्वीकार कर लिया जाएगा, उसे रद्द नहीं किया जा सकता है।
d.) खरीदार बिक्री अनुरोध की स्वीकृति की तारीख से 3 कार्य दिवसों के भीतर बिक्री की कमाई प्राप्त करने के हकदार हैं।
8. रद्द करना:
a.) खरीददार द्वारा दिए गए सभी आदेश (ऑर्डर) विक्रेता की स्वीकृति के अधीन होंगे और विक्रेता बिना कोई कारण बताए किसी भी आदेश को पूर्ण या आंशिक रूप से स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र होगा। विक्रेता द्वारा एक बार स्वीकार किए गए आदेश (ऑर्डर) को विक्रेता की लिखित सहमति के बिना खरीददार द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता।b.) आदेश (ऑर्डर) के आंशिक रूप से निष्पादित होने पर भी विक्रेता पूर्ण या आंशिक रूप से ऑर्डर रद्द करने का हकदार होगा। एक ही आदेश के लिए भेजे गए प्रत्येक लॉट को एक अलग अनुबंध के रूप में माना जाएगा और किसी एक लॉट या शेष लॉट के प्रेषण की विफलता अन्य लॉट के रूप में अनुबंध का उल्लंघन नहीं करेगी। प्रेषण की तारीख को उत्पादों के आंशिक/पूर्ण रूप से भेजे जाने के मामले में आदेश पूरा हुआ माना जाएगा।
9. ऋण: क्रेता द्वारा ऋण अनुरोध से संबंधित सभी लेनदेन कंपनी के साथ हस्ताक्षरित बिक्री सह भंडारण समझौते और बैंकिंग भागीदार के साथ हस्ताक्षरित ऐसे ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन/समझौते द्वारा नियंत्रित होंगे।त होंगे।
10. खरीददार विक्रेता की पूर्व लिखित सहमति के बिना अनुबंध के तहत अपना कोई भी अधिकार या अपने किसी भी दायित्व को किसी को नहीं सौंपेगा। इस धारा के उल्लंघन में कोई भी कथित असाइनमेंट या दायित्व शून्य है। अनुबंध के तहत कोई असाइनमेंट या डेलीगेशन खरीदार को उसके किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं करता है।
11. क्रेता गोदाम में माल भंडारण के लिए निम्नानुसार शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है:
i.) हाइब्रिड धान: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,ii.) गेहूं: नमी कटौती कुल वजन का 0% होगी,
iii.) मक्का: नमी कटौती कुल वजन का -1.5% होगी,
iv.) सोयाबीन: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
v.) तूर पूरा: नमी कटौती कुल वजन का -1.5% होगी,
vi.) चना: नमी कटौती कुल वजन का 0% होगी,
vii.) फिंगर बाजरा: नमी कटौती कुल वजन का -1% होगी,
viii.) हल्दी बल्ब: नमी कटौती कुल वजन का -2.5% होगी,
ix.) हल्दी फिंगर: नमी कटौती कुल वजन का -1% होगी,
x.) धान कतरनी: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xi.) सुपारी साराकू: नमी कटौती कुल वजन का -0.5% होगी,
xii.) सुपारी बेट्टे: नमी कटौती कुल वजन का -0.5% होगी,
xiii.) सुपारी राशी एडी: नमी कटौती कुल वजन का -0.5% होगी,
xiv.) धान आरएनआर: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xv.) धान श्रीराम सोना: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xvi.) धान आईआर 64: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xvii.) धान सोना मसूरी: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xviii.) धान नेल्लोर सोना: नमी की कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xix.) धान कावेरी सोना: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xx.) धान मसूरी: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xxi.) ज्वार सफेद: नमी कटौती कुल वजन का -1.5% होगी,
xxii.) धनिया बादामी साफ: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xxiii.) धनिया बादामी अशुद्ध: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xxiv.) धान-सोनम: नमी कटौती कुल वजन का -2% होगी,
xxv.) सरसों के बीज: नमी कटौती कुल वजन का -1% होगी,
xxvi.) ज्वार ज्वार: नमी कटौती कुल वजन का -1.5% होगी,
12. आपूर्ति किया गया सामान इस उद्देश्य के लिए विक्रेता द्वारा निर्धारित विनिर्देशों/गुणवत्ता के अनुसार होगा। सभी वारंटी और शर्तें, वैधानिक या अन्यथा विनिर्देशों, मात्रा, किसी विशेष उद्देश्य के लिए उपयुक्तता, चाहे विक्रेता को ज्ञात हो या नहीं, को बाहर रखा गया है।
13. खरीददार को संबोधित सभी नोटिस या दस्तावेज वैध रूप से तामील किए गए माने जाएंगे यदि उन्हें उनके अंतिम ज्ञात पते पर डाक/ या मेल द्वारा भेजा गया हो। सार्वजनिक अवकाश, डाक विलंब आदि अथवा विक्रेता के नियंत्रण से परे किसी अन्य कारण से खेप पर किसी भी विलंब शुल्क आदि के लिए विक्रेता जिम्मेदार नहीं होगा।
14. माल के पारगमन के लिए विधियों के अनुसार आवश्यक विभिन्न दस्तावेजों/ प्रपत्रों की व्यवस्था के लिए खरीददार जिम्मेदार होगा। विक्रेता न तो ऐसे किसी भी दस्तावेज के लिए खरीददार से पूछने को बाध्य होगा और न ही खरीददार द्वारा किसी वैधानिक दायित्व का पालन न करने पर किसी प्राधिकारी द्वारा लगाए गए किसी भी दंड के लिए जिम्मेदार होगा।
15. अप्रत्याशित घटना: प्राकृतिक आपदा, घोषित युद्ध या अघोषित क्रांति, प्रतिबंध, दंगों, मौसम, साइबर हमलों, नागरिक या राजनीतिक अशांति, तालाबंदी, हड़ताल, चोरी, श्रमिक विवाद, व्यापारिक विवाद, दुर्घटनाएं, बिजली की विफलता, आगजनी व बाढ़ जैसी किसी भी घटना अथवा विक्रेता के नियंत्रण से परे किसी भी अन्य कारण से माल भेजने में किसी भी देरी या किसी भी नुकसान अथवा हानि के लिए कंपनी उत्तरदायी नहीं होगी। ऐसी स्थिति में विक्रेता के विकल्प के आधार पर माल या उसके किसी हिस्से की डिलीवरी निलंबित या रद्द कर दी जाएगी। यदि किसी चल रही अप्रत्याशित घटना अथवा प्रकृति कारणों से प्रेषण में देरी/रद्द हो जाती है, तो खरीदार या किसी तीसरे पक्ष को हुई किसी भी क्षति/नुकसान के लिए विक्रेता जिम्मेदार नहीं होगा।
16. कोई परिणामी हानि नहीं।किसी भी स्थिति में, कंपनी के कर्तव्यों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप, दोष या किसी अन्य कानूनी सिद्धांत या आधार के बिना दायित्व लापरवाही के अलावा लाभ में कमी या बाजार की हानि, आय की हानि, हानि से होने वाली क्षति, वकीलों की फीस या दंडात्मक क्षति, गलत वितरण, या संपत्ति को नुकसान, माल के उपयोग की हानि, खाद्य सामग्री की लागत, समयबद्ध आपूर्ति की लागत या ऐसे नुकसान जिनकी कंपनी को जानकारी नहीं है, कंपनी किसी भी विशेष, आकस्मिक, परिणामी, वैधानिक या दंडात्मक क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।
17. शासी कानून: ये नियम और शर्तें भारत के कानूनों के अनुसार शासित और निर्मित मानी जाएंगी। इन नियम और शर्तों के संबंध में या इनसे उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद, मतभेद या दावों का क्षेत्राधिकार बैंगलोर, कर्नाटक की अदालतों के दायरे में है।
18. विवाद: इसके अस्तित्व, वैधता या समाप्ति के संबंध में किसी भी प्रश्न सहित इन नियम और शर्तों के संबंध में उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के अनुसार मध्यस्थता के माध्यम से हल किया जाएगा और मध्यस्थ कंपनी द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
19. उपरोक्त नियम और शर्तें विक्रेता द्वारा खरीददार के साथ निष्पादित लिखित समझौते, यदि कोई हो, की शर्तों से असंगत न होने की सीमा तक लागू होंगी।